स्वतंत्रता दिवस | Independence Day | स्वतंत्रता दिवस पर निबंध

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स्वतंत्रता मनुष्य की स्वाभाविक वृत्ति है, उसका जन्मसिद्ध अभिकार है। जब किसी व्यक्ति या राष्ट्र को पराधीनता की जंजीरों में जकड़ दिया जाता है तों उसका जीवन अभिशाप बन जाता है- ”पराधीन सपनहँ सुख नहीं।” भारत को भी सदियों तक पराधीनता की लौह श्रृंखलाओं मे बंधकर पीड़ा ओर घुटन का जीवन जीना पड़ा।

1857 में स्वतंत्रता की लड़ाई का श्री गणेश हुआ और तब से लगभग सौ वर्षों तक भारतीय वीरों ने साहस और धैर्य से अंग्रेजी साम्राज्य का मुकाबला किया। हजारों भारतीयों के बलिदान ने अंग्रेजी साम्राज्य की नींव को हिला दिया। सत्य और अहिसा के .शस्त्रों के सामने अंग्रेजों को झुकना पड़ा। शहीदों का का खून रंग लाया। 15 अगस्त, 1947 की अर्ध॑रात्रि को भारत को सदियों की खोई स्वतंत्रता पुनः प्राप्त हो गई।

independence day

परतंत्रता को काली रात्रि के बाद स्वतंत्रता का नव प्रभात हुआ। सारे देश में हर्ष और आनंद की लहर दौड़ गई। यह दिन भारतीयों के जीवन का मंगलमय दिन बन गया और भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया। भारत माता के मस्तक से पराधीनता का कलंक सदा के लिए मिट गया। लालकिले पर भारतीय तिरंगा फहरा उठा। घर-घर दीप जलाए गए , मिठाइयां बांटी गई। पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने।


इसी दिन की पावन स्मृति में प्रतिवर्ष 15 अगस्त का दिन स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह हमारा राष्ट्रीय पर्व है अत: देश के प्रत्येक नगर में इसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

भारत की राजधांनी होने के कारण दिल्ली में इस अवसर पर विशेष समारोह होता है। देश के प्रधानमंत्री लालकिले की प्राचीर पर ध्वजारोहरण करते हैं और देश के नाम संदेश देते हें। 31 तोपों की सलामी दी जाती है। लाखों की संख्या में देशवासी स्कूलों के विद्यार्थी विदेशी व गणमान्य अतिथि इस, समारोह में भाग लेते हैं। आकाशवाशी और दूरदर्शन से इस समारोह का सीधा प्रसारण किया जाता है। राष्ट्रगान कौ मधुर ध्वनि के साथ इस समारोह का समापन होता है। राज्यों की राजधानियों में भी विशेष समारोह होता है।

वहाँ मुख्यमंत्री ध्वजारोहण करते हैं और जनता को संदेश देते हैं। प्रत्येक कार्यालय व विद्यालय में भी स्वतंत्रता दिवस के समारोह किए जाते हैं। स्कूलों को तिरंगी झंडियों से सजाया जाता है। बच्चे देश भक्ति के कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। ध्वजारोहण व राष्ट्रगान के बाद मिठाई वितरित की जाती है। स्वतंत्रता के लिए जीवन बलिदान कर देने बालों को श्रद्धांजलि अर्पित

$, स्वतंत्रता दिवस

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स्वतंत्रता मनुष्य की स्वाभाविक वृत्ति है, उसका जन्ममिद्ध अभिकए है। जब किसी व्यक्ति या राष्ट्र को पराधीनता की जंजीरों में जकड़ दिया जाता है तों उसका जीवन अभिशाप बन जाता है-‘पराधीन सपनहँ सुख ‘नहीं।’ भारत को भी सदियों तक पराधीनता क्री लौह श्रृंखलाओं मे बंधकर पीड़ा ओर घुटन का जीवन जीना पड़ा11857 में स्वतंत्रता की लड़ाई का श्री गणेश हुआ और तब से लगभग सौ वर्षों तक भारतीय वीरों ने साहस और थधेर्य से अंग्रेजी साम्राज्य का मुकाबला किया। हजार भारतीयों के बलिदान ने अंग्रेजी साम्राज्य की नींव को हिला दिया। सत्य

और अहिसा के .शस्त्रों के सामने अंग्रेजों को झुकना पड़ा। शहीदों का का खून रंग लाया। 15 अगस्त, 1947 की अर्ध॑रात्रि को भारत को सदियों की खोई स्वतंत्रता पुनः प्राप्त हो गई। परतंत्रता को काली रात्रि के बाद स्वतंत्रता का नव प्रभात हुआ। सारे देश में हर्ष और आनंद की लहर दौड़ गई। यह दिन भारतीयों के जीवन का मंगलमय दिन बन गया और भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया। भारत माता के मस्तक से पराधीनता का कलंक सदा के लिए मिट गया। लालकिले पर भारतीय तिरंगा फहरा उठा। घर-घर दीप जलाए गए , मिठाइयां बांटी गई। पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने।

इसी दिन की पावन स्मृति में प्रतिवर्ष 15 अगस्त का दिन स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह हमारा राष्ट्रीय पर्व है अत: देश के प्रत्येक नगर में इसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

भारत की राजधांनी होने के कारण दिल्ली में इस अवसर पर विशेष समारोह होता है। देश के प्रधानमंत्री लालकिले की प्राचीर पर ध्वजारोहरण करते हैं और देश के नाम संदेश देते हें। 31 तोपों की सलामी दी जाती है। लाखों की संख्या में देशवासी स्कूलों के विद्यार्थी विदेशी व गणमान्य अतिथि इस, समारोह में भाग लेते हैं। आकाशवाशी और दूरदर्शन से इस समारोह का सीधा प्रसारण किया जाता है। राष्ट्रगान कौ मधुर ध्वनि के साथ इस समारोह का समापन होता है।

राज्यों की राजधानियों में भी विशेष समारोह होता है। वहाँ मुख्यमंत्री ध्वजागेहण करते हैं और जनता को संदेश देते हैं। प्रत्येक कार्यालय व विद्यालय में भी स्वतंत्रता दिवस के समारोह किए जाते हैं। स्कूलों को तिरंगी झंडियों से सजाया जाता है। बच्चे देश भक्ति के कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। ध्वजारोहण व राष्ट्रगान के बाद मिठाई वितरित की जाती है। स्वतंत्रता के लिए जीवन बलिदान कर देने बालों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। यह पर्व इस बात का साक्षी है कि स्वतंत्रता एक अमूल्य वस्तु है।

भारत माता के सिर पर स्वतंत्रता का ताज रखने के लिए अनेक देशभक्तों ने अनेक जीवन का उत्सर्ग कर दिया, हमें उसकी हर कीमत पर। रक्षा करनी होगी। हमें इसे अत्यंत उल्लास, उमंग और प्रेम से मनाना चाहिए।